सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

राष्ट्रवाद

 



अभी हाल की घटनाओं से देश में तथाकथित बुद्धिजीवियो ने राष्ट्र की अवधारणा पर विमर्श शुरू किया .

एन .डी.टी वी चैनल पर रविश कुमार जैसे तथाकथित पत्रकार – संघ के विचारक राकेश सिन्हा व् अभय दुबे जैसे तथाकथित बुद्धिजीवी के साथ विमर्श करते नजर आये .

हैरानी की बात है कि राकेश सिन्हा जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक हैं उन्होंने – भारत राष्ट्र -के विचार को – जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादिप गरीयसी के माध्यम से व्याख्या देने का प्रयास किया . मात्र मातृभूमि स्वर्ग से बेहतर है के विचार के कारण भारत राष्ट्र  नहीं . भारत राष्ट्र का रहस्य आध्यात्म की उस सनातन परम्परा में छिपा है जिसे संघ हिन्दू राष्ट्र के रूप में देखता रहा है .और जिसका आरम्भ उपनिषदों के -तत्वमसि श्वेतकेतु – हर जीव में ईश्वरीय दर्शन से शुरू होकर -वसुधैव कुटुम्बकम – पर जिसकी परिणित होती है .

वसुधा – पृथ्वी इस राष्ट्र के लिए मात्र एक ग्रह नहीं , माँ की तरह वन्दनीय है, उसी से वन्दे मातरम का उदघोष उत्पन्न हुआ है . भारत की सनातन परम्परा पश्चिम की तरह  अन्तरिक्ष में स्थित ग्रहों को मात्र अन्वेषण का विषय ही नहीं समझती बल्कि आर्यभट्ट से भी पूर्व भारत में नवग्रहों को जीवंत दिव्य रूप मान हर शुभ कार्य से पहले उनके पूजन की परम्परा रही है .

ये देश सिर्फ नक़्शे में सीमित भारत देश को अपनी माँ नहीं समझता – उसके लिए तो समस्त पृथ्वी ही माँ की तरह है , कण कण में हर आकार में निराकार का ही वास है . भारत का राष्ट्रवाद दूसरे देशो की तरह अपने भू भाग से जुड़ा मात्र भावनात्मक विचार नहीं , बल्कि भारत राष्ट्र का रहस्य उसके महान मानवीय व् आध्यत्मिक जीवन मूल्यों में छिपा है जन्हा परमात्मा किसी सातवे आसमान पे बैठा सृष्टि का नियन्ता न होके ,अस्तित्व के हर आकार में व्यक्त  उस परम रहस्य की अभिव्यक्ति है , जिस रहस्य की खोज में भारत के प्रतिभा युगों युगों से संलग्न रही है , जिसको अब जाके विज्ञानं हिग्स बोगोन – हर कण में दिव्यता के रूप में समझ पा रहा है , हमारे गुरु सदियों से उसकी व्याख्या -तत्वमसि श्वेतकेतु – श्वेतकेतु तू वही है दिव्यता का धारक – निराकार का आकार – उस परम की अभिव्यक्ति –के माध्यम से करते रहे .

समष्टि –सबके प्रति आदर का भाव –इस राष्ट्र के मूल जीवन मूल्यों में है , इसे हमें रविश कुमार – अभय दुबे जैसे अभिनेता पत्रकारों – तथाकथित बुद्धिजीवियो से नहीं अपनी सनातन परम्परा से सीखना है .

भारत राष्ट्र – संघ या मोदी के कारण नहीं बल्कि- भारत राष्ट्र -के कारण ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या मोदी जैसे राष्ट्र नायक जन्म लेते है .

जे.एन.यू . प्रसंग में इस देश के लोगो का क्रोध इसी संधर्भ में है — तुम कश्मीर को ले के क्या करोगे – ७० साल होने को आये पाकिस्तान तो तुमसे संभल नहीं रहा – प्रमाण चाहिए – बंगला देश है न .

 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ध्यान एवं स्वास्थ्य - Meditation and Health

  किस प्रकार मात्र ध्यान से हम स्वस्थ हो सकते हैं , प्रस्तुत वीडियो में परमहंस योगानन्द जी द्वारा इस रहस्य को उद्घाटित किया गया है . ध्यान मन और शरीर को शांत करने की एक प्राचीन साधना है। नियमित ध्यान से मानसिक तनाव कम होता है, मन एकाग्र होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। ध्यान करने से रक्तचाप संतुलित रहता है, नींद की गुणवत्ता सुधरती है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह चिंता, अवसाद और क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करने में सहायक होता है। स्वस्थ जीवन के लिए ध्यान को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना अत्यंत आवश्यक है। थोड़े समय का नियमित ध्यान भी शरीर और मन को स्वस्थ, शांत और प्रसन्न बना सकता है।

सदी की सबसे बेहतरीन किताब - मार्कस ऑरेलियस पुस्तक सारांश हिंदी में, ध्यान

यह पश्चिमी दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक है। इस विडिओ में  जीवन को कैसे जीएं, और कैसे हर परिस्थिति में बेहतर तरह से जीया जा सकता है इसकी महत्वपूर्ण प्रस्तुति हैं. 1. हमारा कन्ट्रोल सिर्फ हमारे दिमाग पर है , बाहर की घटनाओं और लोगो पे नहीं।   समस्याएँ मन में उत्पन्न होती हैं, घटनाओं को कष्टदायक मानने की हमारी धारणा ही हमारे द्वारा अनुभव किए जाने वाले किसी भी दुख का वास्तविक स्रोत है, न कि स्वयं घटनाएँ।मार्कस का मानना ​​था कि एक व्यक्ति अपने मन से किसी भी परेशान करने वाले प्रभाव को तुरंत मिटा सकता है और शांति से रह सकता है।"कार्य में बाधा ही कार्य को आगे बढ़ाती है।जो बाधा बनती है, वही मार्ग बन जाती है।"*मार्कस सिखाते हैं कि हमारा मन एक ऐसी चीज़ है जो खुद को पूरी तरह से नियंत्रित करता है और दुनिया से अलग है; यह घटनाओं से तब तक प्रभावित नहीं हो सकता जब तक कि यह खुद को प्रभावित न करे। प्रत्येक आभास मन की इच्छा के अनुसार होता है और हमारे मन में अपार शक्ति होती है। हम चुन सकते हैं कि हम घटनाओं को कैसे देखते हैं और हम अपने विचारों और कार्यों पर पूरी...

आपकी खुशी बहुत महत्वपूर्ण है

  निम्नलिखित कारणों से अपनी खुशी को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानना ​​वास्तव में स्वार्थ नहीं है - यह सच है। आप एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं। मुझे आपके पेशे, रोज़गार या आय की परवाह नहीं है। आप महत्वपूर्ण हैं। अपने अतीत पर गौर करें। सोचें कि अगर आप पैदा न हुए होते तो आपके आस-पास की दुनिया कितनी अलग होती। आपके जीवन ने दूसरों पर क्या प्रभाव डाला है? छोटे-छोटे योगदानों को महत्वहीन न समझें क्योंकि सच्चाई यह है कि अक्सर यही छोटे-छोटे बदलाव किसी बड़े अच्छे काम की ओर ले जाते हैं। अब अपने वर्तमान जीवन के बारे में सोचिए। आपके परिवार, दोस्तों और समुदाय में कितने लोग आप पर निर्भर हैं? अगर कल आप बिस्तर पर ही रहे, तो आपकी अनुपस्थिति से कितने लोगों का जीवन प्रभावित होगा? अब अपने भविष्य के बारे में सोचिए। आपके जीवन में दूसरों के जीवन को प्रभावित करने की क्या क्षमता है? अपने घर, परिवार, दोस्तों, समुदाय और अपने पेशेवर जीवन के बारे में सोचिए। संभावनाओं के बारे में नहीं, बल्कि संभव  होने  के बारे में सोचिए। आपमें, सिर्फ़ अपने होने और अपना जीवन जीने से, कई लोगों के जीवन बदलने की क्षमता है। आ...