कौन ये जा रहा मौन --------------
हो बेटा - ओ बैरी - हा जीजी
इन तमाम करुण क्रन्दनो के बीच
असम्प्रकत - वीतराग सा शुभ्र वसन मीत ---
कौन ये जा रहा मौन ,
मृत्यु के महानुष्ठान में दे रहा हवि -- अचेत ,
हर पल हर घड़ी मानवता कि सेवा में संलग्न ,
या माया मोह में निमग्न ,
पा रहा स्वयं को निर्लिप्त योगी सा - या कर्मनिष्ठ ---
कौन ये जा रहा मौन -----------------------
ताकता हिकारत से -- चहुँ और ,
निपट गंवार - दरिद्र - मूर्ख - जाहिल - पापी - रुग्ण -
इन नरक के हरकारों के बीच ,
नीम की जीर्ण पीत झरी चटकती पत्तियों पर ।
अभिशप्त रुग्णालय के खंडहरनुमा देवालय की निस्तब्ध प्रस्तर प्रतिमा सा ---
कौन ये जा रहा मौन ------------------------------------
कल तक थी जिसमें आग भस्म कर देने को -
समस्त धरा की ज़रा -----
अतीत के किसी ज्वालामुखी की राख के ढेर सा शांत --
सम्प्रति धीर प्रशान्त ---- स्थितिप्रज्ञा सा --------
कौन ये जा रहा मौन
जीवन एक अवसर है - जीवन में प्रेम है - तो जीवन में घृणा भी है - जीवन आनंद है - तो जीवन दुख भी है - जीवन सफलता है - जीवन संघर्ष भी है - जीवन स्वर्ग है - तो जीवन नर्क भी है - हमें मिला सबसे बड़ा वरदान है - "स्वतंत्रता" - अपनी इच्छा के अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता - यह स्वतंत्रता एक बड़ी जिम्मेदारी लाती है - हम इस स्वतंत्रता से कैसे अपने जीवन को बदलते हैं - यह साइट पूरी तरह से स्वयं के रूपान्तरण के बारे में है -"आपमें जो भी से सर्वश्रेष्ठ गुण हैं , अन्वेषण करने के लिए -