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क्या आपने आज किसी को छुआ ?

  अपनी आँखें बंद करें और अपने सबसे शांत, सुकून भरे पलों के बारे में सोचें। चाहे जो भी मन में आए, कहीं न कहीं एक "स्पर्श" ज़रूर होगा - आपके सिर पर आपकी माँ का हाथ; आपके आस-पास किसी प्रियजन की बाहें; पहली बार जब आपने अपने बच्चे को गोद में लिया था; वो खूबसूरती जिसने आपके दिल को छुआ; संगीत जिसने आपकी आत्मा को छुआ; कोई ऐसा व्यक्ति जो आपके जीवन में आया और जिसने आपके दिल के तार को छुआ... हाँ और नहीं। एक स्पर्श भौतिकता से कहीं बढ़कर एक भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर का जुड़ाव बनाता है। एक जीवन जिसने आपको छुआ; एक आवाज़ जिसने आपको छुआ, या यादें जो आपको हमेशा के लिए छू जाएँगी... इनमें से कोई भी सिर्फ़ भौतिक कैसे हो सकता है? ज़रा सोचिए, आप क्या खोना चाहेंगे – नज़र या स्पर्श का एहसास? ज़रा सोचिए, और आपको एहसास होगा कि स्पर्श की अनुभूति आपको बाकी दुनिया से आपकी दूसरी इंद्रियों से कहीं बेहतर तरीके से जोड़ती है। बच्चे जब भी परेशान या खुश होते हैं, सहज रूप से शारीरिक संपर्क की तलाश करते हैं। बड़े होने पर ही हमें स्पर्श से शर्मिंदगी महसूस होती है, क्योंकि तब तक हम इसे कामुकता से जोड़ने लगते हैं।...