मैं मलय हूँ ,
दिग - देगांतर में फैलता ही
जाये जो वो वलय हूँ ,
मैं मलय हूँ ,
क्या पता था - मनुज की आहटों में जिन्दगी है
क्या पता - आलिंगनो की ऊष्मा में बंदगी है ,
मैं मलय हूँ---
क्या पता था - मनुज भी हैं -सुग्न्धिवार्धित
अब तलक तो पुष्प ही देखे थे - सुगन्धित ,
वेदना हर ले जो , एक नजर भी भर ले जो ,
संवेदनाओ को करे जीवंत , बिना छुए ,
अनछुए पहलू , जगा दे ,---
मैं मलय हूँ ,
दिग - देगांतर में फैलता ही
जाये जो वो वलय हूँ ,
मैं मलय हूँ ,
क्या पता था - मनुज की आहटों में जिन्दगी है
क्या पता - आलिंगनो की ऊष्मा में बंदगी है ,
मैं मलय हूँ---
क्या पता था - मनुज भी हैं -सुग्न्धिवार्धित
अब तलक तो पुष्प ही देखे थे - सुगन्धित ,
वेदना हर ले जो , एक नजर भी भर ले जो ,
संवेदनाओ को करे जीवंत , बिना छुए ,
अनछुए पहलू , जगा दे ,---
मैं मलय हूँ ,
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