सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

रिश्ता ?

तुमसे ये रिश्ता क्या है
     यूँ तो बस कभी यूँ ही मिले थे हम
 फिर भी ये रिश्ता क्या है ,
 मैंने कहा , चलोगे मेरे साथ
   तुम चल ही तो पड़े थे और
फिर जब कभी हम बात करते थे दूरभाष पर ही
 तो यकायक फूल से खिल उठते थे ,
    तो ये रिश्ता क्या है
और तुम्हारे बेबूझ नाराजी के बावजूद
   अरसे बाद जब मिले तो क्या खूब मिले
तो फिर ये रिश्ता क्या है ।
कितना तो पूछा हर बार तुम हँस के यही बोले
 मैं ऐसी ही हूँ बेबूझ ।
 और अब जब तुम अपनी दुनिया में खो गयीहो
     तो  मेरे अंतरतम से अचानक ये रिसता कया है

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ध्यान एवं स्वास्थ्य - Meditation and Health

  किस प्रकार मात्र ध्यान से हम स्वस्थ हो सकते हैं , प्रस्तुत वीडियो में परमहंस योगानन्द जी द्वारा इस रहस्य को उद्घाटित किया गया है . ध्यान मन और शरीर को शांत करने की एक प्राचीन साधना है। नियमित ध्यान से मानसिक तनाव कम होता है, मन एकाग्र होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी अच्छा प्रभाव डालता है। ध्यान करने से रक्तचाप संतुलित रहता है, नींद की गुणवत्ता सुधरती है और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यह चिंता, अवसाद और क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाओं को नियंत्रित करने में सहायक होता है। स्वस्थ जीवन के लिए ध्यान को दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना अत्यंत आवश्यक है। थोड़े समय का नियमित ध्यान भी शरीर और मन को स्वस्थ, शांत और प्रसन्न बना सकता है।

तुम

उस दिन हम  जब अचानक आमने सामने थे , तुम्हारी खामोश निगाहों में एक खामोश शिकवा था न मेरे लिए ? कितनी खूबी से तुमने उसे छिपा लिया अपनी पलकों में । और यूँ मिली मुझसे जैसे कभी कोई शिकवा न था । शिकवा न था कोई तो फिर वो दूरियां क्यों थी ? मिलते हैं फिर कभी , ये कह के तुम चल तो दीं । मगर कब तक , और फिर एक दिन  जब सच में तुम को जाना था तब आयीं थी तुम फिर मेरे पास कुछ पलों के लिये । और मैं आज भी उन पलों के साथ जी रहा हूँ,  जैसे मुझे पूरी पृथ्वी का साम्राज्य मिल गया हो ।