वेलेंटाइन डे की इस पावन वेला में ,
कल्पना में ही सही,
मुझे अपने आगोश में लेकर सो जाना
और कोई चाहत नहीं इस जगत में अब मुझको
मैं चाहता हूँ --शून्य में खो जाना ,
या सच कहूँ तो मात्र विसर्जित हो जाना --
सब तो करके देख लिया मैंने --
कर्म -- भक्ति ---ज्ञान साधना
कंही कोई सार नहीं --- सब है असार ---
इस जगत में --- कंही कुछ है तो बस वो तेरा प्यार
और डरना मत , जरा भी क्या कहेगा ये संसार
या इसका सार रूप वो तथाकथित परमेश्वर
जो आरूढ़ है किसी सातवें आसमान के
स्वर्रिम सिंहासन पर
क्योंकि आज मैंने उसको भी कह दिया है कि --
ओ ईश्वर --हे परम प्रभु --- हे परमेश्वर
मुझे नहीं स्वीकार तेरा ये रूप --- अरूप
जिससे सारा जगत है भयभीत और खड़ा है
याचना या धन्यवाद से भरे हाथ लेकर
युगों युगों से पर तू बना रहा है एक रहस्य -----------
यदि इस अस्तित्व में कंही तू है तो मेरे लिये
मात्र मेरी गर्ल फ्रेंड की मदहोश कर देने वाली निगाहों में
या फिर उसकी दोनों बांहों में बसे आकाश में
हे प्रभु --मुझको विलीन कर दे , बस यूँ ही
तू मुझे स्वयं में लीन कर दे .
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