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जुलाई, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बहुत खूबसूरत हो तुम !

बहूत खूबसूरत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम ! कभी मैं जो कह दूं मोहब्बत है तुम से ! तो मुझको खुदारा गलत मत समझना ! के मेरी जरुरत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम ! है फ़ुलों की डाली, ये बाहें तुम्हारी ! है खामोश जादू निगाहें तुम्हारी ! है खामोश जादू निगाहें तुम्हारी ! नज़र से जमाने की खुद को बचाना ! किसी और से देखो दिल न लगाना ! के मेरी अमानत हो तुम ! बहुत खूबसूरत हो तुम ! है चेहरा तुम्हारा के दिन है सुनेहरा ! और उस पर ये काली घटाओं का पेहरा ! गुलाबों से नाजु़क मेहकता बदन है ! ये लब है तुम्हारा के खिलता चमन है ! बिखेरो जो जु़ल्फ़ें तो शरमाये बादल ! ये ताहिर भी देखे तो हो जाये पागल ! वो पाकीजा़ मुरत हो तुम ! बहुत खूबसूरत हो तुम ! मोहब्बत हो तुम, बहुत खूबसूरत हो तुम ! जो बन के कली मुस्कूराती है अक्सर ! शबे हिज्र मैं जो रुलाती है अक्सर ! जो लम्हों ही लम्हों मे दुनिया बदल दे ! जो शायर को दे जाये पेहलु ग़ज़ल की ! छुपाना जो चाहे छुपाई न जाये ! भुलाना जो चाहे भुलाई न जाये ! वो पेहली मोहब्बत हो तुम ! बहुत खूबसूरत हो तुम !!

नहीं मैं तन्हा तो नहीं ,

नहीं मैं तन्हा तो नहीं ,        मेरे साथ हैं इस -फेस बुक पे निरंतर होते -स्टेटस अपडेट-        मेरी सबसे अजीज़ गर्ल फ्रेंड ---" जागो - यही एकमात्र कार्य है ,        मित्र 1 - फिल्म पहचानो प्रतियोगिता        मित्र 2 - चलाओ न नैनो के बाण रे        मित्र 3 - संता बंता के लेटेस्ट        मित्र 4 - चले जाने दो उस बेवफा को किसी और की बांहों में        मित्र 5 -  लव इस द ओनली मिरेकल        मित्र 6 - फोटो - स्विट्ज़रलैंड        मित्र 7 - जोया मेरा नया जूनून        मित्र 8 - रियली वंडरफुल टिप        मित्र 9 - जिन्दगी भी साली ग्रामर जैसी है                    और कुछ सिरफिरे जिन्दगी जिनको ग्रामर जैसी नहीं लगती -         जो सिर्फ ठीक से सो नहीं पाने की वजह से फेस बुक पर नहीं आते --- ...

इक ग़ज़ल

इक ग़ज़ल उस पे लिखूँ दिल का तकाज़ा है बहुत इन दिनों ख़ुद से बिछड़ जाने का धड़का है बहुत रात हो दिन हो ग़फ़लत हो कि बेदारी हो उसको देखा तो नहीं है उसे सोचा है बहुत तश्नगी के भी मुक़ामात हैं क्या क्या यानी कभी दरिया नहीं काफ़ी, कभी क़तरा है बहुत मेरे हाथों की लकीरों के इज़ाफ़े हैं गवाह मैं ने पत्थर की तरह ख़ुद को तराशा है बहुत कोई आया है ज़रूर और यहाँ ठहरा भी है घर की दहलीज़ पे ऐ यारों उजाला है बहुत