शनिवार, 9 मई 2020

रिश्ता ?

तुमसे ये रिश्ता क्या है
     यूँ तो बस कभी यूँ ही मिले थे हम
 फिर भी ये रिश्ता क्या है ,
 मैंने कहा , चलोगे मेरे साथ
   तुम चल ही तो पड़े थे और
फिर जब कभी हम बात करते थे दूरभाष पर ही
 तो यकायक फूल से खिल उठते थे ,
    तो ये रिश्ता क्या है
और तुम्हारे बेबूझ नाराजी के बावजूद
   अरसे बाद जब मिले तो क्या खूब मिले
तो फिर ये रिश्ता क्या है ।
कितना तो पूछा हर बार तुम हँस के यही बोले
 मैं ऐसी ही हूँ बेबूझ ।
 और अब जब तुम अपनी दुनिया में खो गयीहो
     तो  मेरे अंतरतम से अचानक ये रिसता कया है

गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

जीवन

जीवन अज्ञात
   भविष्य सम्भावना से पूर्ण
 क्या है ज्ञात ?
कब हो क्या घटित
कौन जानता ,
किसके हिस्से में होगा प्रकाश
कँहा , कब अंधकार
कोई न जानता ,
ये रहस्य ?
तब जीने की कला क्या है ?
बेफिक्र होकर
इस अज्ञात रहस्य से
हमेशा जिओ आज में
परिपूर्ण ।
कल के अज्ञात को रहने दो
अज्ञात ।