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तो आखिर - ये खुदा क्या है ?

जबकि तुझ बिन नही कोई मौंजू फिर ये हंगामा ए जुदा क्या है.... तू है फेसबुक पे और है भी नहीं तो फिर ये आखिर हुआ  क्या है ? माना तेरा जन्म दिन है कल पर आज ही मुझे ये हुआ क्या है ? पड़ा हूँ बिस्तर पे औ आ रहे हैं चक्कर या इलाही ये माजरा क्या है ? लोग जीते है जी जी के मरते है मैं मर मर के जी रहा हूँ माजरा क्या है ? मैं हूँ - मैं ही हूँ - मैं - मैं ही हूँ तो आखिर - ये खुदा क्या है ?
ओहो- तो ये तुम हो ?वाक़ई, हद है, मैं तो सच मुच तेरे को भूल गया ? सब बुरे मुझको याद रहे - अरे , जो भला था उसी को भूल गया ? कितना वक्त हमसफ़र रह कर, कमबख्त - हमनशीं को भूल गया? तेरी उस हँसी को तो भूल गया अपने उस ज़ख्म को भी भूल गया ? दोस्तों - अब तो रास्ता दे दो, अब तो मैं उस गली को भूल गया ? कितने प्यार से बोली थी वो , क्या हुआ ? महजबीं को भूल गया ?