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हेलो जिन्दगी

               तू मुझे कितना हैरां कर देती है -- अभी ही तो तू आई थी ,                    एक खुशनुमा हवा के झोंके की तरह - और भर दिया था तूने मुझे -                मेरी सांसो को कर दिया था ओतप्रोत - प्राणों से - बाहर से भीतर - भीतर से बाहर,                   ऊर्जावान  हो उठा था मै ---                फिर यकायक ये क्या हुआ -- रोज की तरह आज सुबह -                   जब मैंने तुझे कहा --  हेलो जिन्दगी --               तो मेरे शब्दों में प्राण ही नहीं थे , खुद को ही बुरा लगा था -               कि ऐसे निष्प्राण - निस्पंद शब्दों से कैसे जिन्दगी को हेलो कहा जा सकता है .          ...