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हृदय में समा जाओ

आओ - तुम मेरे हृदय में समा जाओ तुम खोज रहे हो सत्य को - जो पोशीदा है मेरे सीने में , और वे तमाम असत्य भी , जिनको नकार कर , तुमने बेदखल कर दिया है , अपनी अक्ल से , आओ और जान लो ये भी - कि इस जगत में कुछ भी तो स्थिर नहीं , तुम्हारे या मेरे - उसके या इसके -, या किसी के भी सत्य - असत्य , कब मौका देखकर अपना रूप बदल लेते हैं, यही तो बस जान लेना है , पर मैं भी समझ पता हूँ - तुम्हारे भय-मोह को , जिस सत्य को तुम न जाने कब से ढोते ढोते ,थक चुकी हो , हालाँकि बखूबी तुम भी जानती हो , उस सत्य का राम नाम सत्य , कभी का हो चुका है , मगर तुम उसे ढो रही हो ,अपने सत्य के नाम पर , और खो रही हो - निरन्तर , प्रति पल उपलब्ध , इस जीवन्त छण को , जो तुम्हे दे सकता है - हर पल एक नया सत्य - चिर नूतन , यदि तुम आओ और समा जाओ मेरे हृदय में।