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जीवन

जीवन अज्ञात    भविष्य सम्भावना से पूर्ण  क्या है ज्ञात ? कब हो क्या घटित कौन जानता , किसके हिस्से में होगा प्रकाश कँहा , कब अंधकार कोई न जानता , ये रहस्य ? तब जीने की कला क्या है ? बेफिक्र होकर इस अज्ञात रहस्य से हमेशा जिओ आज में परिपूर्ण । कल के अज्ञात को रहने दो अज्ञात ।