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जनवरी, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
बेताब हूँ मैं उसके लिये , मालूम है बखूबी उसको , फिर भी वो मुझको इतना सताती क्यों है ? दुनिया भर को बताती है , वो हाले दिल अपना , सिर्फ मुझसे ही इस बात को छुपाती क्यों है ? खुदबखुद झगडती है , मुझसे वो झगड़ालू झाड , पर मुझ ही पे ये इलज़ाम वो लगाती क्यों है ? चलो गर इलज़ाम लगाया मुझ पर वो भी ठीक, मगर फिर खुद को वो इतना रुलाती क्यों है ? माना कि नींद नहीं आती है रात भर उसको , पर मुझको फिर वो रात भर जगाती क्यों है ? तेवर उसके देखो यूँ कि जीतेगी ज़माने को , फिर किसी के आगे यूँ वो हार जाती क्यों है ?