मेरी पंसदीदा गज़लें

चाँद बनकर वो मेरी आँखों में जिस पल आ गया ,
                यूँ लगा कि जैसे दिल पर चाँदनी बरसा गया ,
ये कहूँगा वो कहूँगा ,सोचकर निकला मगर ,
                देखकर उनको नजर के सामने घबरा गया ,
प्यार क्या है , क्या नहीं है ,मैंने कभी सोचा नहीं ,
                बस मिली उनसे नजर , तो प्यार करना आ गया ,
हम थे ख्वाबों के जहाँ में , दूर हर सच्चाई से ,
                जिन्दगी की हर हकीकत वो हमें समझा गया ,
मैंने परवाह की नहीं आशिक कभी अंजाम की ,
               प्यार में उसके जमाने भर से मैं टकरा गया .  
                                                                    शायर --- कमल 'आशिक'

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